Radhakanta Deb Biography in Hindi – राधाकान्त देव (1784-1867) अनके भाषाओं के विद्धवान , हिंदी संस्कृति के संरक्षण के पक्षधर एवं विचारक थे. उन्होंने ‘शब्दकल्पद्रुम’ नामक संस्कृत के आधुनिक महाशाब्द्कोश की रचना की.
श्री राधाकान्त देव (Radhakanta Deb) ‘गोपिमोहन देव’ के पुत्र थे. जो महाराजा नवकृष्ण देव के दत्तक पुत्र एवं उत्तराधिकारी थे. 1830 में इन्होने ‘धर्मसभा’ नामक संस्था चलाई, जो अन्य कार्यों के अलावा पश्चिमोन्मुखी विचारों के विरोधी था. इस सभा ने सटी प्रथा के समर्थन में अपना विचार रखा, जबकि राजा राममोहन राय आदि ने इसके उन्मूलन के पक्षधर थे.
राधाकाठ देब ने हमेशा शिक्षा को बढ़ावा देने में रूचि दिखाई, खासकर हिन्दुओं के बिच अंग्रेजी शिक्षा, उन्होंने महिला शिक्षा की भी वकालत की. राधाकंठ देब 1817 में कलकत्ता स्कुल बुक सोसाइटी की स्थापना और गतिविधियों और 1818 में कलकत्ता स्कुल सोसाइटी में सक्रीय रूप से शामिल थे. राधाकांता ने महिला शिक्षा की भी वकालत की. राधकृष्ण 1818 में अपनी स्थापना के बाद से कृषि और बागवानी सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के एक सक्रीय सदस्य थे.
1851 में वह संस्थापक-अध्यक्ष बिर्टिश इंडियन एसोसिएशन थे. उनकी मौत तक उनकी स्थिति थी. उन्होंने डेविड हरे की मदद की और कलकत्ता में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की.
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