Peer Ali Khan Biography in Hindi – पीर अली खान एक सच्चे स्वतन्त्रता सेनानी थे. उनका जन्म वर्ष 1820 में आजमगन के मुहम्मदपुर गाँव में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा पटना में ली थी. वहां उन्होंने उर्दू. अरबी और फ़ारसी भाषा में महारथ हासिल किया.
पीर अली खान अपनी युवा अवस्था में ही घर से भाग निकले थे. फिर पटना में एक जमीदार जिनका नाम नवाब मीर अब्दुल्लाह था. उन्होंने पीर अली को अपने बेटे के तरह पाला और उनकी परवरिश की थी. पीर अली खान का मकसद था की हिन्दुस्तान को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाया जाए. उनकी सोच थी की गुलामी जिन्दगी से कही बेहतर मौत है. पीर अली खान का दिल्ली और भारत में कई स्थानों में स्वतंत्रता सेनानियों से बहुत अच्छा संपर्क भी थे. उन्होंने हिन्दुस्तान के कई क्षेत्रो में क्रान्ति भावना पैदा की और उन्होंने एक नारा भी बुलंद किया था. ‘जब तक हमारे शारीर में खून की एक भी बूंद रहेगी, हम अंग्रेजों से बगावत और उनका विरोध करते रहेंगे”.
3 जुलाई 1857 को पीर अली खान ने अपने साथियों के साथ मिलकर प्रशासनिक भवन पहुंचकर फिरंगियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी का प्रदर्शन किया, यह वाही जगह थी जहाँ से पूरी रियासत पर नजर राखी जाती थी. 5 जुलाई, 1857 को पीर अली खान और उनके करीब 14 साथियों को विद्रोह करने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया. उस दौरान पटना के कमिश्नर विलियम टेलर ने पीर अली खान को कहा “तुम्हारी जान बाख सकती है, अगर तुम अपे लीडर्स और साथियों के नाम हमने बता दो” पीर अली खान ने कमिश्नर को करार जवाब देते हुए कहा की “हमारी जिन्दगी में ऐसे कई मौके मिलते है है, जब खान को बचाना ज्यादा जरुरी होता है, लेकिन जिन्दगी में ऐसे भी मौके मिलते है जब जान को देना ज्यादा जरुरी हो जाता है और यह मौका जान देने का मिला है. “उन्होंने कहा था की “तुम हमें फांसी पर तो लटका सकते हो, लेकिन हमारे आदर्शो को नहीं मार सकते हो. मई तो मर जाऊंगा, लेकिन मेरे मरने पर लाखो ऐसे बहादुर जन्म लेंगे. जो तुम्हारे जुल्मों-सितम को खत्म करेगे.”
7 जुलाई, 1857 को एक महान स्वतंत्रता सेनानी पीर अली खान को अंग्रेजी हुकूमत ने सड़क के बीचोंबीच सांसी के फंदे पर लटका दिया गया.
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