Amir Khusrow in Hindi – खड़ी बोली हिंदी के आदि कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय हिंदी में

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Amir Khusrow Biography in Hindi मध्यकालीन भारत के चर्चित इतिहास लेखकों में अमीर खुसरों का नाम उल्लेखनीय है, अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक स्थान पर हुआ था.

वे ऐसे परिवार से सम्बद्ध थे, जिसका कई पीड़ियों से राजदरबार से सम्बन्ध रहा था. अमीर खुसरो को स्वयं छ: सुल्तानों के अंतर्गत सेवा का अवसर प्राप्त हुआ था. सर्वप्रथम वे सुलतान बलबन के ज्येष्ठ पुत्र मुहम्मद की सेवा में रहे, मंगोलों की मृत्यु हो गई और अमीर खुसरो को बंदी बना लिया गया , परन्तु शीघ्र ही वे बंदीग्रह से भाग निकले, तत्पश्चात वे सुल्तान बलबन के राजदरबार से सम्बद्ध हो गए . सुलतान बलबन की मृत्यु (1287 ई.) के पश्चात अमीर खुसरो, सुलतान केकुबाद. जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी, मुबारकशाह खिलजी, गयासुद्दीन तुगलक के अंतर्गत शाही सेवा में रहे.

अमीर खुसरो सूफियों – विशेष रूप से शेख निजामुद्दीन ओलिया (चिश्ती सिलसिला) के अत्यंत प्रिय शिष्यों में थे, जहाँ तक उनके साहित्यिक योगदान का विषय है, तो उन्होंने अपने काव्य तथा संगीत के माध्यम से भारत की सूफी संस्कृति के निर्माण में अप्रतिम योगदान दिया.

ऐतिहासिक विषय को लेकर उनकी पहली मसनवी है – ‘किरान-उस-सादेन’, जो उन्होंने 1289 ई. में रची थी . इसमें सुलतान बलबन के पुत्र बुगरा खां और उसके बेटे सुलतान कैकुबाद के मिलन (भेंट) का वर्णन है.

अमीर खुसरो की दूसरी मसनवी ‘मिफता-उल-फुतूह’ की रचना 1291 ई. में हुई थी . इस मसनवी में उन्होंने सुलतान जलालुद्दीन खिलजी के सेनी अभियानों, मालिक छज्जू का विद्रोह , रणथम्भौर पर सुलतान के अभियान आदि का वर्णन किया है.

अमीर खुसरो : एक दृष्टि में

जन्म – 1253 ई. पटियाली (जिला-एटा, उत्तर प्रदेश)

वास्तविक नाम – अबुल हसन

उपाधियाँ – तूतिया-ए-हिन्द, तुर्कअल्ल्लाह (इजमुद्दीन ओलिया द्वारा)

रचनाएं – खमसा, पजगंज, मतला-उल-अनवर शिरी व् फरहाद, लेला व् मजनूं, आइन-ए-सिकन्दरी, हरतविहिरत, देवालरानी खिज्र खां, किरान-उस-सदेन, नाज-उल-फुतूह , नुह्सिफिर, रसेल इलाज, तुगलकनाम, मिफ्ताह-उल-फुतूह , अफजल -अल-फरायद, तारिज-ए-दिल्ली , खजाइन-उल-फुतूह, आवाज-ए-खुसरवी.

संरक्षक शासक – बलबन , कैकुबाद, जल्लुद्दीन फिरोज खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी, कुतुबुद्दीन मुबारक, गयासुद्दीन

संगीत के क्षेत्र में योगदान – कब्बाली गायन के आविष्कारक, अनेक रागों (तिलक, साजगिरी, सर्पदा, ओमन, घोर, सनम आदि) को प्रचलित किया, सितार एवं खुसरों को दिया जाता है.

मृत्यु – 1325 ई.

अमीर खुसरो की तीसरी मसनवी ‘आशिका’ का सम्बन्ध गुजरात के राज करण की पुत्री देवलदेवी तथा सुलतान अल्लौद्दीन खिलजी के पुत्र खिज्र खां की प्रेमकथा से है, इस मसनवी में सुलतान अल्लुद्दीन खिलजी की गुजरात तथा मालवा विजय का भी विस्त्रत विवरण प्राप्त होता है , साथ ही उन्होंने विभिन्न क्षेत्रो की स्थलाकृति का वर्णन भी किया है; इसी कृति में वे मंगोलों द्वारा स्वयं बंदी बनाए जाने का भी उल्लेख करते है.

आमिर खुसरो की चोथी मसनवी ‘नुह सिपिहर’ में हिन्दुस्तान तथा उसके लोगों का सजीव वर्णन है; इस कृति में, सुलता मुबारक शाह खिलजी का चाटूकारितापूर्ण वर्णन है. उन्होंने तत्कालीन भवनों, विजयों, जलवायु, विविध फूलो=फलो-वनस्पतियों भाषायों-बोलियों का उल्लेख करते हुए आम जन-जीवन व् उनकी आस्थाओं का विस्त्रत उल्लेख इस कृति में किया है. तत्कालीन सामजिक-सांस्कृतिक जीवन का ऐसा विवरण किसी भी अन्य इतिहासकार ने नहीं किया है.

अमीर खुसरो की सर्वाधिक चर्चित कृति -‘खजाइन-उल-फुतूह’ है, जिसे ‘तारीख-ए-अलाई’ के नाम से भी जाना जाता है, गद्द में रचित इस कृति में सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के पहले पन्द्रह वर्षो का चाटूकारितापूर्ण विवरण है, यद्दपि यह रचना मूलत: साहित्यिक है, परन्तु फिर भी इसका अपना एतिहासिक महत्व है क्युकी सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी का समसामयिक विवरण केवल इसी कृति में प्राप्त होता है इसमें उन्होंने सुलतान अलाउद्दीन खिलजी द्वारा गुजरात, चित्तोड़ , मालवा तथा वारंगल की विजयों का विस्त्रत वर्णन किया है, अमीर खुसरो इन अभियानों का प्रत्यक्षदर्शी था. इस रचना में मालिक काफूर के दक्कन अभियानों का आँखों देखा विवरण भी प्राप्त होता है, जो भोगोलिक तथा सेन्य विवरणों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, यह रचना हमें तत्कालीन भारत के सांस्क्रतिक जीवन से भी अवगत कराती है, साथ ही सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के स्थापत्य प्रेम व् प्रशासनिक सुधारों से भी परिचित कराती है.

अमीर खुसरो की पांचवी (अंतिम) मसनवी ‘तुगलकनामा’ में खुसरोशाह के विरुद्द गयासुद्दीन तुगलक की विजय का वर्णन है, सम्पूर्ण विवरण को धार्मिक रंग दिया गया है, गयासुद्दीन तुगलक को सत तत्वों का प्रतिक बतलाया गया है और उसे असत तत्वों के प्रतिक खुसरोशाह के साथ संगर्ष करते हुए प्रस्तुत किया गया है.

अमीर खुसरो की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह रही है की उन्होंने अपनी सभी कृतियों में अधिकाधिक तिथियाँ दी है और उनके द्वारा दिया गया कालक्रम उनके समकालीन जियाउद्दीन बरनी की अपेक्षा कही अधिक विश्वसनीय है. उनकी रचनाएं तत्कालीन सामजिक-सांस्क्रतिक स्थियियों पर गहन जानकारी उपलब्ध कराती है, जिन पर उस समय के अन्य इतिहासकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया. युद्दोस्त्रो, सेनी अभियानों के विवरण , नगरों , विविध प्रकार के व्यवसायों , खेल, संगीत एवं नृत्य आधी के विवरणों से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी अमीर खुसरो ने अपनी रचनाओं में उपलब्ध कराई है.

1.खलिकबारी (कोशग्रंथ) 2.हालात -ए- कन्हैया (भक्ति परक रचना) 3.नजराना-ए-हिंदी

दोहा
खुसरो दरिया प्रेम का, सो उलटी वा की धार,
जो उबरो सो डूब गया, जो डूबा हुवा पार।

पद
ग़ज़ल
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां |
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,
न लेहो काहे लगाये छतियां ||

कहमुकरी
खा गया पी गया, दे गया बुत्ता
क्या सखि साजन?, ना सखि कुत्ता !

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